Saturday, March 27, 2010


betiya

हर अल्फाज़ का इशारा बेटियाँ

हर खुशी का नजारा बेटियाँ

दिल में बस जाती हैं फूलों की तरह


आँखों में समाती हैं सावन के झूलों की तरह


बनाती हैं सबको अपना नहीं दिखती किसी को कोई झूठा सपना


जो कहती हैं करके वो दिखती हैं


हर ग़लत कदम पर आवाज वो उठाती हैं


फिर भी हर बात पर उन्हें ही क्यों रोका जाता है


फीर भी हर बात पर उन्हें ही क्यों टोका जाता है

2 comments:

  1. bahut badhiya kavita .
    ujjawal bhavishay ki shubhkamanaye !!!!!!!
    aise hi likhti raho .

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  2. इण उम्र में आ हूंस घणी सरावण जोग है.

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