Wednesday, March 17, 2010


betiya


बोए जाते हैं बेटे


उग आती हैं बेटियाँ


खाद-पानी बेटों में


पर लहलहाती हैं बेटियाँ


एवरेस्ट पर ठेले जाते हैं बेटे


पर चढ़ जाती हैं बेटियाँ


रुलाते हैं बेटे


और रोती हैं बेटियाँ


कई तरह से गिराते हैं बेटे


पर सम्भाल लेती हैं बेटियाँ

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