betiya
ओस की बूँद की तरह होती है बेटिया
प्यार का बंधन छुटे तो रोती है बेटियाँ
रोशन करेगा बेटा बस एक ही कुल को
..दो दो कुलो की लाज रखती है "बेटिया
शायद पल भर में ही
सयानी हो जाती हैं बेटियाँ,
घर के अंदर से
दहलीज़ तक कब
आज जाती हैं बेटियाँ
कभी कमसिन, कभी
लक्ष्मी-सी दिखती हैं ,बेटियाँ।
पर हर घर की
तकदीर, इक सुंदर
तस्वीर होती हैं, बेटियाँ।
हृदय में लिए उफान,
कई प्रश्न, अनजाने
घर चल देती हैं बेटियाँ,
घर की, ईंट-ईंट पर,
दरवाज़ों की चौखट पर
सदैव दस्तक देती हैं, बेटियाँ।
पर अफ़सोस क्यों सदैव
हम संग रहती नहीं, ये बेटियाँ।
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