Sunday, December 11, 2011

betiya


बेटी बनकर आई हूँ मैं माँबाप के जीवन में
बसेरा होगा कल मेरा किसी और के आँगन में ,

क्यों ये रीत खुदा ने बनाई होगी,
कहते है आज नही तो कल बेटी तू पराई होगी,
देकर जनम पाल पोसकर जिसने हमे बड़ा किया
और एक वक़्त उन्ही हाथों ने हमे विदा किया ,
एक पल को नही सोचते अरे ! हमने ये क्या किया ,
टूट के बिखर जाती है हमारी ज़िन्दगी वहीँ
फिर भी उस बंधन में प्यार मिले ये ज़रूरी तो नही
क्यूँ ये रिश्ता हम बेटियों का अजीब होता है ,
क्या बस यही हम बेटियों का नसीब होता है !!

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