
घर -आंगन मे चह-चहाती है बेटिया
चिडियों जेसे इधर-उधर फुदकती है बेटिया
इक आह के साथ जन्म लेती है बेटिया
इक आह देकर फिर छोड़ जाती है बेटिया
ज़माने की हर खुशी से प्यारी है बेटिया
घर महक जाता है जब मुस्कराती है बेटिया
माँ -बाप के दुख-सुख की हमदर्द है बेटिया
बहुत सपने सजाते है माँ -बाप बेटियों के लिए
डोली में बैठ जब सुसराल चली जाती है बेटिया
घर -आगन सुना कर जाती है बेटिया "" "itu"
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