बेटिया समझो तो होती है ,माँ -बाप का गुरुर ,
नही होती है ये , बेटो की तरह मगरूर
दिलो जान से वह माँ -बाप की इजत करती है ,
और निःसवार्थ अपनो के दुःख -दर्द सहन करती है
अपनो की सेवा ही यह करती जाती है ,
लेकिन बदले में कुछ नही चाहती है
जमीन पर राज करने वाली बेटिया ,
अब आसमान तक जाती है
अपने नाम का झंडा ,आसमान तक भी फहराती है इतिका राजपुरोहित "इतु "
bahut bhavpurn rachna.
ReplyDeletetumhari koshish prasanshneey hai.itni si umra main blog banana tumhari pratibha bayaan karti hai.tumse parichay kar bahut accha laga. tumhare kisi kam aa sku to maeri khuskismati hogi.sampark mein rahna.