ES BLOG ME DI HUAI KUCH KAVITAYE MERI NIJI HAI..BAKI KAHI N KAHI SE DHUNDH KAR MAINE EK COLLECTION KIYA HAI.MERA UDHESIYE BETIYO SE SAMANDHIT MARMIK KAVITAO KA SANGRAH KARNA HAI.YE EK COLLECTION HAI .
Sunday, October 2, 2011
बेटियाँ तोह सिर्फ इक एहसास होती हैं
"क्या लिखू?
क्या लिखू के वोह परियो का रूप होती हें?
की कड़कती ठण्ड में सुहानी धुप होती हें
वोह अक्षर जो न हो तो वर्णमाला अधूरी हें
वोह जो सब से ज्यादा ज़रूरी हें
यह नहीं कहूँगा के वोह हर वक़्त साथ-साथ होती हें
क्यू के बेटिया तो सिर्फ एक एहसास होती हें ||
क्यू के बेटिया तो सिर्फ एक एहसास होती हें
उसकी आँखे न मुझसे गुडिया मांगती हें
न मांगती हें कोई खिलौना
कब आओगे? बस एक छोटा सा सवाल सलोना ||
जल्दी आऊंगा !
अपनी मज़बूरी को छुपाते देता हूँ मै जवाब
तारीख बताओ समय बताओ ,
वोह उंगलियो पे करने लगती हें हिसाब
और जब में नहीं दे पाता सही सही जवाब
अपने आंसुओ को छुपाने के लिए
वोह चहरे पर रख लेती हें किताब ||
वोह मुझसे विदेश में छुट्टिय
अच्छी गाडियो में घूमना
फाइव स्टार में खाने
नए नए खिलोने नहीं मांगती
न की वोह ढेर सारे पैसे
अपने गुल्लक में उधेलना चाहती हें
वोह तो बस कुछ देर
मेरे साथ खेलना चाहती हें ||
पर वही बात बेटा काम हें
बहुत सारा काम हें
काम करना ज़रूरी हें
नहीं करूँगा तो कैसे चलेगा?
जैसे मज़बूरी हमें दुनिया दारी
के जवाब देने लगती हें ||
और वो झूठा ही सही मुझे एहसास कराती हें
जैसे सब बात वोह समज गयी हो
लेकिन आँखे बंध कर के वो रोंती हें
सपने में खेलते हुए मेरे साथ सोती हें
जिंदगी न जाने क्यू इतनी उलझ जाती हें?
और हम समझते हें की बेटिया सब समझ जाती हें ||"
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