कितना कुछ सह जाती है बेटिया
अक्सर चुप रह जाती है बेटिया !!
कहाँ तक हिफाजत रखे अपनी -
जब घर में ही बेआबरू हो जाती है बेटिया!
अक्सर चाह कर भी ,नहीं कर पाती कुछ -
अरमानो का गला घौट रह जाती है बेटिया !!
बदल लेती है ,बक्त के साथ खुद को-
हर हाल ढल - जाती है बेटिया !!
क्यों इनका इतना खौप खाते है लोग-
जो कौख में क़त्ल कर दी जाती है बेटिया !!
हरेक कदम पर चुनौती है इनके -
मेहनत से आगे बड जाती है बेटिया !!
बेटी किसी की बहन कभी ,प्रेमिका भी होती
रिश्तो के कितने रंगों में रंग जाती है बेटिया !!
कितना कुछ सह जाती है बेटिया
अक्सर चुप रह जाती है बेटिया !!
अक्सर चुप रह जाती है बेटिया !!
कहाँ तक हिफाजत रखे अपनी -
जब घर में ही बेआबरू हो जाती है बेटिया!
अक्सर चाह कर भी ,नहीं कर पाती कुछ -
अरमानो का गला घौट रह जाती है बेटिया !!
बदल लेती है ,बक्त के साथ खुद को-
हर हाल ढल - जाती है बेटिया !!
क्यों इनका इतना खौप खाते है लोग-
जो कौख में क़त्ल कर दी जाती है बेटिया !!
हरेक कदम पर चुनौती है इनके -
मेहनत से आगे बड जाती है बेटिया !!
बेटी किसी की बहन कभी ,प्रेमिका भी होती
रिश्तो के कितने रंगों में रंग जाती है बेटिया !!
कितना कुछ सह जाती है बेटिया
अक्सर चुप रह जाती है बेटिया !!
AAHHA KE SATH WAH .. BETIYA SACH ME BHAGWAN KI ANMOL KRITIYA HAI .. PAR FIR BHI SAHANNA HI INKI NIYTI HAI UMDA RACHNA BADHYI EVEM SHUBHKAMNAYE
ReplyDeleteचुप रह रह के जुल्म सह सह के हमने जी लिया बहुत दिन पर अब नही। ध्यानाकर्षक प्रस्तुति।
ReplyDeleteबदल लेती हैं वक्त के साथ खुद को..हर हाल ढ़ल जाती हैं बेटियां
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है..
bhut bhut aabhar
Deleteaap ka bhut bhut dhaniyvad
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