Monday, November 1, 2010

betiya


मैने बेटी बन जन्म लीया,



मोहे क्यों जन्म दीया मेरी माँ


जब तू ही अधूरी सी थी!


तो क्यों अधूरी सी एक आह को जन्म दीया,


मै कांच की एक मूरत जो पल भर मै टूट जाये,


मै साफ सा एक पन्ना जिस् पर पल मे धूल नजर आये,


क्यों ऐसे जग मै जनम दीया, मोहे क्यों जनम दीया मेरी माँ,


क्यों उंगली उठे मेरी तरफ ही, क्यों लोग ताने मुझे ही दे


मै जित्ना आगे बढ़ना चाहू क्यों लोग मुझे पिछे खीचे!


क्यों ताने मे सुनती हू माँ,मोहे क्यों जन्म दीया मेरी माँ?

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