Wednesday, January 20, 2010

betiya

"किसी  पेड की इक डाली को ,नवजीवन  का  सुख देने |
नव  प्रभात  की  किरणों  को ले , खुशियों  से  आँचल भर  देने ||
किसी दूर परियो के  गढ़  से ,नव कोपल  बन आई  बिटिया |
सबके  मन  को भायी बिटिया , अच्छी  प्यारी  सुन्दर  बिटिया ||
आँगन मे  गूंजे  किलकारी  ,  जैसे  सात सुरों  का संगम |
रोना  भी उसका  मन भाये, पर हो जाती  है  आँखे  नम  ||
इतराना  इठलाना   उसको ,मन को  मेरे भाता  है |
हर पीड़ा को भूल  मेरा मन , नए  तराने  गाता है ||
जीवन के  बेसुरे  ताल  मे , राग  भेरवी  लायी  बिटिया  |
सप्त  सुरों  का  लिए  सहारा ,  गीत नया  कोई  गायी बिटिया ||
बस्ते  का वह बोझ  उठा  , काँधे पर  पढ़ने  जाती है |
शाम  पहुचती जब  घर  , हमको  इंतजार  मे पाती है ||
धीरे -धीरे  तुतलाकर  , वह  बात  सभी  बतलाती  है |
राम-रहीम  गुरु  ईसा के , रिश्ते  वह  समझाती  है ||
                                                          
"itu" rajpurohit                      

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