"किसी पेड की इक डाली को ,नवजीवन का सुख देने |
नव प्रभात की किरणों को ले , खुशियों से आँचल भर देने ||
किसी दूर परियो के गढ़ से ,नव कोपल बन आई बिटिया |
सबके मन को भायी बिटिया , अच्छी प्यारी सुन्दर बिटिया ||
आँगन मे गूंजे किलकारी , जैसे सात सुरों का संगम |
रोना भी उसका मन भाये, पर हो जाती है आँखे नम ||
इतराना इठलाना उसको ,मन को मेरे भाता है |
हर पीड़ा को भूल मेरा मन , नए तराने गाता है ||
जीवन के बेसुरे ताल मे , राग भेरवी लायी बिटिया |
सप्त सुरों का लिए सहारा , गीत नया कोई गायी बिटिया ||
बस्ते का वह बोझ उठा , काँधे पर पढ़ने जाती है |
शाम पहुचती जब घर , हमको इंतजार मे पाती है ||
धीरे -धीरे तुतलाकर , वह बात सभी बतलाती है |
राम-रहीम गुरु ईसा के , रिश्ते वह समझाती है ||
"itu" rajpurohit
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