"आ गयी घर में एक नन्ही सी कली,
जिसकी मुस्कान की खुशियाँ इस दिल में हैं पली,
वो निभाएगी दायित्व और सर फख्र से ऊँचा होगा,
जिस अरमान को उसके आगमन पे सींचा होगा,
उनके फलीभूत होने पर गर्व की अनुभूति होगी,
उसको हर वर्ग हर धर्म से सहानुभूति होगी
उसके दो शब्द मन में मिस्री घोल देते हैं,
कानों में जैसे संजीवनी डोल देते हैं.
कहती हैं निभाती हैं मर्यादा की रस्मों को,
परिवार के समाज के दायित्व को सपनो को,
हर कष्ट में माँ बाप के वो दौड़ के आती हैं,
अपनी सेवा से वो बेटों को पीछे कर जाती हैं,
इनको पढाओ इनको सिखाओ कि मानवता क्या है,
देश और समाज में इनका कर्तव्य सिर्फ सेवा है ...||"
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल गुरुवार (26-09-2013) को "ब्लॉग प्रसारण : अंक 128" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है.
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आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति आज रविवार (26-09-2013) को "ब्लॉग प्रसारण- 128" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है.
ReplyDeleteमेरी रचना को शामील करने के लिए आभार आपका !
Deleteसुन्दर अभिव्यक्ति .खुबसूरत रचना
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें।
सादर मदन
http://saxenamadanmohan1969.blogspot.in/
http://saxenamadanmohan.blogspot.in/
aap ka bhut aabhar jo aapne saraha.
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