ES BLOG ME DI HUAI KUCH KAVITAYE MERI NIJI HAI..BAKI KAHI N KAHI SE DHUNDH KAR MAINE EK COLLECTION KIYA HAI.MERA UDHESIYE BETIYO SE SAMANDHIT MARMIK KAVITAO KA SANGRAH KARNA HAI.YE EK COLLECTION HAI .
Monday, November 1, 2010
betiya
"में बेटी बनकर आई हूँ माँ -बाप के जीवन में
बसेरा है आज कल मेरा किसी और के आँगन में ||
क्यों यह रीत भगवान ने बनायीं होगी
कहते हैं आज नहीं तो कल तू परायी होगी ,||
दे कर जनम पाल -पोसकर जिसने हमें बड़ा किया
और वक़्त आया तो उन्ही हाथों से हमें विदा किया ||
बेटिया इससे समझकर परिभाषा अपने जीवन की
बना देती है अभिलाषा एक अटूट बंधन की ||
क्यों रिश्ता हमारा इतना अजीब होता है
क्या बस यही हम बेटियों का नसीब होता है ||"
betiya
मैने बेटी बन जन्म लीया,
मोहे क्यों जन्म दीया मेरी माँ
जब तू ही अधूरी सी थी!
तो क्यों अधूरी सी एक आह को जन्म दीया,
मै कांच की एक मूरत जो पल भर मै टूट जाये,
मै साफ सा एक पन्ना जिस् पर पल मे धूल नजर आये,
क्यों ऐसे जग मै जनम दीया, मोहे क्यों जनम दीया मेरी माँ,
क्यों उंगली उठे मेरी तरफ ही, क्यों लोग ताने मुझे ही दे
मै जित्ना आगे बढ़ना चाहू क्यों लोग मुझे पिछे खीचे!
क्यों ताने मे सुनती हू माँ,मोहे क्यों जन्म दीया मेरी माँ?
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