Monday, December 3, 2012

betiya


बाबुल की आन और शान है बेटी ,
इस धरा पर मालिक का वरदान
ही बेटी ,

जीवन यदि संगीत है तो सरगम
ही बेटी ,
रिश्तो के कानन में भटके इन्सान
की मधुबन सी मुस्कान ही बेटी,

जनक की फूलवारी में कभी प्रीत
की क्यारी में ,
रंग और सुगंध का महका गुलबाग
ही बेटी ,

त्याग और स्नेह की सूरत है ,
दया और रिश्तो की मूरत ही
बेटी ,

कण – कण है कोमल सुंदर
अनूप है बेटी ,
ह्रदय की लकीरो का सच्चा
रूप है है बेटी ,

अनुनय , विनय , अनुराग
है बेटी ,
इस वसुधा और रीत और प्रीत
का राग है बेटी ,

माता – पिता के मन का
वंदन है बेटी ,
भाई के ललाट का चंदन
है बेटी ।

ये बेटियां




छोड़ के ये सब ताल तलैया
कल तुझको उड़ जाना है
जिन बागों में खेली कूदी
वो सब तो बेगाना है
याद मुझे सब होली दीवाली
खेल खिलौने हंसी ठिठोली
गुड्डे गुड़िया की वो शादी
आज हकीकत में है बदली
कल जब तेरा होगा जाना
हो जाएगा आंगन सूना
चुपके चुपके याद में तेरी
रोएगा घर का हर कोना
याद करेगा भैया तुझको
गुड़िया तेरी याद करेगी
पिता तो पत्थर रख लेगा पर
माँ तुझको ही याद करेगी
बेटी तो सदा पराया धन
जा तुझको सुखी संसार मिले
बस दुआ इतनी सी है
इस घर से भी ज्यादा प्यार मिले