Wednesday, July 25, 2012

betiya


बेटी का जन्म
क्या कहूँ की जो शुरुआत हुई
जैसे तपते दिन में रात हुई
सूरज ने ली सब किरणें समेट
मातम ने घर को लिया चपेट
सबकी शक्लें मुरझाई हैं
हाय ! लड़की घर में आई है
न थाली बजी, न पेड़े बटें
न मिली दुआ , न उतरी बला
छाई आफत की परछाई हैं
पर माँ तो "माँ "है क्या करती
कैसे देख उसे, आहें भरती
ये रिश्ता जग से न्यारा है
उसे तो बेटी का रूप भी प्यारा है
पिता का दिल कुछ भारी है
पर संतान इन्हें भी प्यारी है
चिंता हो मन में, फिर भी मैं
होंठो को अपने सी लूँगा
चार निवाले दे तुझको
खुद दो घूंट पानी पी लूँगा
बस दिल में गहरा दर्द भरा
ना सोना बड़ा घड़ो में कभी
न रकम बड़ी है तिजोरी में
बरस में दो दो सावन आकर
रंग भरे हैं मेरी छोरी में
बीत गए, दिनों में साल कई
एक दम से मुनिया, बड़ी हुई
कुछ भी कर अब पिता को तो
बेटी का ब्याह रचाना है
दहेज़ की मांग पूरी करने को
खुद खड़े खड़े बिक जाना है
इतने पर भी उनको चैन कहा
जो दहेज़ नहीं कभी लेते है
बस बेटी को अपनी, उपहार दीजिये
इतना ही कह देते है
आव भगत की बात तो तय है
कपड़े कितने दिलाओगे
ठाकुरजी के भोग को क्या ना
चाँदी के बर्तन लाओगे
मारुती में ही गुजर करेंगे
छोटे से फ्लेट में रह लेंगे
बेटी को दो, जो देना है
हम दहेज़ कतई नहीं लेंगे
तब रोती है ममता खुद पर
और बाप का दिल भर आता है
वरना बेटी का मखमल सा
प्यार किसे नहीं भाता है
जब तक दहेज़ के दानव का
विस्तार यहाँ ना कम होगा
तब तक गरीब के घरो में
"बेटी का जन्म" मातम होगा

Sunday, July 22, 2012


नेह, ममता, करुणा की, हैं मूर्त साकार बेटियां
देती है माँ – बहिन, पत्नी का प्यार बेटियां
रखती ख्याल सबका हैं, ये होशियार बेटियां
हैं बड़ी हिम्मती यह, नहीं मानती हैं हार बेटियां

काली, दुर्गा, सरस्वती, हैं देवियाँ हज़ार बेटियां,
आने वाली पीढ़ी को, देती है संस्कार बेटियाँ,
बेटे से कहाँ हैं कम, ये ये समझदार बेटियां,
कल्पना की उड़ान में, जा चुकी अंतरिक्ष पार बेटियां |

फिर बताओ न पापा सच-सच, क्यों नहीं करते प्यार बेटियाँ
क्यों पैदा होने से पहले ही, देते हो मार बेटियां ?
अभी धडकनें बनी थी बस, सांसें ना मिल पाई उधार बेटियां,
आँखें तक ना खुल पायीं, न देख पाई संसार बेटियां |

बेटियों ने जिन्हें जनम दिया, उन्हें ही नहीं स्वीकार बेटियां,
कौन सा यह न्याय है, क्यों जुल्म की शिकार बेटियां,
कैसे कहे किससे कहे, ये अजन्मी मूक – लाचार बेटियां ?
बस लड़ रही खुदा से वह, क्यों बनाया तूने परवरदिगार बेटियां ?